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याद | शाही शायरी
yaad

नज़्म

याद

ज़ीशान साहिल

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याद एक जंगल है
उदासी जहाँ ढूँडती है

बाहर निकलने का कोई रास्ता
रास्ता मिल जाने की ख़ुशी है याद

और न मिलने का आँसू
रुके हुए आँसुओं का ख़ज़ाना है याद

या तुम्हारे बग़ैर गुज़रते हुए
लम्हों का ढेर

याद एक ढेर है
सूखे हुए पत्तों का

बर्फ़ का या रेत का
मैं नहीं जानता

एक बच्चा मुझे बताता है
और अपने पिस्तौल में पानी भर के

ढेर पर डालता रहता है