कभी कभी कोई याद
कोई बहुत पुरानी याद
दिल के दरवाज़े पर
ऐसे दस्तक देती है
शाम को जैसे तारा निकले
सुब्ह को जैसे फूल
जैसे धीरे धीरे ज़मीं पर
रौशनियों का नुज़ूल
जैसे रूह की प्यास बुझाने
उतरे कोई रसूल
जैसे रोते रोते अचानक
हँस दे कोई मलूल
कभी कभी कोई याद कोई बहुत पुरानी याद
दिल के दरवाज़े पर ऐसे दस्तक देती है
नज़्म
याद
उबैदुल्लाह अलीम