रात तक
ख़यालों में
यादों का क़ाफ़िला
कभी जगाता रहा
कभी थपकी दे कर
सुलाता रहा
आख़िर धड़कनों का साज़
ख़्वाबीदा आग़ोश में
डूबता चला गया

नज़्म
याद
ख़दीजा ख़ान
नज़्म
ख़दीजा ख़ान
रात तक
ख़यालों में
यादों का क़ाफ़िला
कभी जगाता रहा
कभी थपकी दे कर
सुलाता रहा
आख़िर धड़कनों का साज़
ख़्वाबीदा आग़ोश में
डूबता चला गया