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याद | शाही शायरी
yaad

नज़्म

याद

ख़दीजा ख़ान

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रात तक
ख़यालों में

यादों का क़ाफ़िला
कभी जगाता रहा

कभी थपकी दे कर
सुलाता रहा

आख़िर धड़कनों का साज़
ख़्वाबीदा आग़ोश में

डूबता चला गया