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वंडर्लैंड | शाही शायरी
wonderland

नज़्म

वंडर्लैंड

असलम फ़र्रुख़ी

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सिंड्रेला की जूती भी खोई गई
मुंजमिद क़स्र में इसनो-व्हाइट के फ़व्वारा चालीस फ़ुट

की बुलंदी से मोती लुटाने लगा
अपने ऐवान के मख़मली फ़र्श पर

एक मछेरे की तम्माअ़' बीवी भी शम्स-ओ-क़मर पर हुकूमत की उम्मीद में
अपने ख़्वाबों की दुनिया में तहलील होती गई

हेनिस एँडरसन और गर्म भाइयों की तरब-नाक दुनिया की ख़ाकिस्तर गर्म से
मैं फिर इक बार ज़िंदा हुआ और

ईंटी-एलर्जिक के ख़्वाब-ए-आफ़रीं मुज़्महिल
कैफ़ की सरहदों से बहुत दूर

अपनी ही दुनिया में इक बार फिर
सर के बिल चल के तलवार की धार पर

ज़िंदगी के डी-बैकल की तज़ईन को
पत्थर आँखों से तकता रहा