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वाईपर | शाही शायरी
wiper

नज़्म

वाईपर

फ़े सीन एजाज़

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क्या ग़ज़ब की बारिश है
आँखें सूजने आईं

काश कोई वाईपर
चलती कार से ले कर

मेरे उन पपोटों पर
जोड़ दे सफ़ाई से

पुतलियों के शीशों को
धुँद से बचाना है