छट गई ज़ुल्मत
कट गई रात
फट गई पौ
गुम हुए तारे
खो गया शबनम
धुल गए बाग़
खिल गईं कलियाँ
हंस दिए फूल
उड़ गए पंछी
जाग उठी ख़ल्क़
हो गई सुब्ह
चढ़ गया सूरज
बढ़ गए साए
वो नहीं आए
वो नहीं आए
नज़्म
वो नहीं आए
अमजद नजमी
नज़्म
अमजद नजमी
छट गई ज़ुल्मत
कट गई रात
फट गई पौ
गुम हुए तारे
खो गया शबनम
धुल गए बाग़
खिल गईं कलियाँ
हंस दिए फूल
उड़ गए पंछी
जाग उठी ख़ल्क़
हो गई सुब्ह
चढ़ गया सूरज
बढ़ गए साए
वो नहीं आए
वो नहीं आए