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वो चाँद-चेहरा सी एक लड़की | शाही शायरी
wo chand-chehra si ek laDki

नज़्म

वो चाँद-चेहरा सी एक लड़की

फ़ारूक़ बख़्शी

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वो चाँद-चेहरा सी एक लड़की
मोहब्बतों की मिसाल जैसे

ज़ेहन में शाएर के जैसे आए
हसीं ग़ज़ल का ख़याल कोई

वो चाँद-चेहरा सी एक लड़की
किसी जन्म में वो माँ थी मेरी

किसी जन्म में बहन बनी थी
मगर वो अब के बनी है हमदम

तमाम रिश्ते निभा रही है
मुझे भी जीना सिखा रही है

वो चाँद-चेहरा सी एक लड़की