वो बिछड़ा है तो याद आया
वो अक्सर मुझ से कहता था
मोहब्बत वो नहीं है जो ये नस्ल-ए-नौ समझती है
ये पहरों फ़ोन पर बातें
ये आए दिन मुलाक़ातें
अगर ये सब मोहब्बत है
तो तुफ़ ऐसी मोहब्बत पर
मोहब्बत तो मोहब्बत है
विसाल ओ वस्ल की ख़्वाहिश से बाला-तर
कहा करता
मोहब्बत क़ुर्ब की ख़्वाहिश पे आए तो समझ लेना
हवस ने सर उठाया है
हवस क्या है
फ़क़त जिस्मों की पामाली फ़क़त तज़लील रूहों की
कहा करता मोहब्बत और होती है
हवस कुछ और होती है
सौ जब भी क़ुर्ब की ख़्वाहिश पे आ जाए मोहब्बत तो
सुनो फिर देर मत करना वहीं रस्ता बदल लेना
वो बछड़ा है तो याद आया
नज़्म
वो बिछड़ा है तो याद आया
मीसम अली आग़ा