कह भी दे अब वो सब बातें
जो दिल में पोशीदा हैं
सारे रूप दिखा दे मुझ को
जो अब तक नादीदा हैं
एक ही रात के तारे हैं
हम दोनों उस को जानते हैं
दूरी और मजबूरी क्या है
उस को भी पहचानते हैं
क्यूँ फिर दोनों मिल नहीं सकते
क्यूँ ये बंधन टूटा है
या कोई खोट है तेरे दिल में
या मेरा ग़म झूटा है
नज़्म
विसाल की ख़्वाहिश
मुनीर नियाज़ी