EN اردو
वक़्त-1 | शाही शायरी
waqt-1

नज़्म

वक़्त-1

गुलज़ार

;

मैं उड़ते हुए पंछियों को डराता हुआ
कुचलता हुआ, घास की कलग़ियाँ

गिराता हुआ गर्दनें इन दरख़्तों की, छुपता हुआ
जिन के पीछे से

निकला चला जा रहा था वो सूरज
तआक़ुब में था उस के मैं!

गिरफ़्तार करने गया था उसे
जो ले के मिरी उम्र का एक दिन भागता जा रहा था!