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वक़्फ़ा | शाही शायरी
waqfa

नज़्म

वक़्फ़ा

अहमद नदीम क़ासमी

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रास्ता नहीं मिलता
मुंजमिद अँधेरा है

फिर भी बा-वक़ार इंसाँ
इस यक़ीं पे ज़िंदा है

बर्फ़ के पिघलने में
पौ फटे का वक़्फ़ा है

उस के बा'द सूरज को
कौन रोक सकता है