रास्ता नहीं मिलता
मुंजमिद अँधेरा है
फिर भी बा-वक़ार इंसाँ
इस यक़ीं पे ज़िंदा है
बर्फ़ के पिघलने में
पौ फटे का वक़्फ़ा है
उस के बा'द सूरज को
कौन रोक सकता है
नज़्म
वक़्फ़ा
अहमद नदीम क़ासमी
नज़्म
अहमद नदीम क़ासमी
रास्ता नहीं मिलता
मुंजमिद अँधेरा है
फिर भी बा-वक़ार इंसाँ
इस यक़ीं पे ज़िंदा है
बर्फ़ के पिघलने में
पौ फटे का वक़्फ़ा है
उस के बा'द सूरज को
कौन रोक सकता है