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वही हुआ ना कि जिस का डर था | शाही शायरी
wahi hua na ki jis ka Dar tha

नज़्म

वही हुआ ना कि जिस का डर था

असरा रिज़वी

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बिछड़ गए तुम बदल गए तुम
ये रुत जो बदली बदल गया सब

वफ़ा की बातें मिलन की रातें
वही हुआ ना कि जिस का डर था

उदासी आँखों में बस गई है
रंग सारे पड़े हैं फीके

तुम्हारे जज़्बे की इक लहर से
उजड़ गई है हमारी दुनिया

वही हुआ है कि जिस का डर था