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वा'दा | शाही शायरी
wada

नज़्म

वा'दा

फ़रहत एहसास

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सूरज के गोले को
मुट्ठी में भेंच कर

वा'दा करता हूँ
जब तक

पूरे का पूरा अंगार
तुम्हारे चेहरे में नहीं बदलता

तब तक दुनिया में
शाम ही होगी

और न मेरी
हथेली के घाव ही भरेंगे