सूरज के गोले को
मुट्ठी में भेंच कर
वा'दा करता हूँ
जब तक
पूरे का पूरा अंगार
तुम्हारे चेहरे में नहीं बदलता
तब तक दुनिया में
शाम ही होगी
और न मेरी
हथेली के घाव ही भरेंगे
नज़्म
वा'दा
फ़रहत एहसास
नज़्म
फ़रहत एहसास
सूरज के गोले को
मुट्ठी में भेंच कर
वा'दा करता हूँ
जब तक
पूरे का पूरा अंगार
तुम्हारे चेहरे में नहीं बदलता
तब तक दुनिया में
शाम ही होगी
और न मेरी
हथेली के घाव ही भरेंगे