एक दिल
जो मेरा मस्कन था
मुझे वहाँ से
दिल-ब-दर कर दिया गया
उसी लड़की के हुक्म पर
जिस का वो दिल था
उसे मुझ से मोहब्बत थी
इसी लिए
वो अपने हमराह
मुझे ले जाना नहीं चाहती थी
दिल-बदरी के बाइ'स
मैं उस के साथ
दफ़्न नहीं हो सका
नज़्म
उसे मुझ से मोहब्बत थी
मुस्तफ़ा अरबाब