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उस ख़्वाब में | शाही शायरी
us KHwab mein

नज़्म

उस ख़्वाब में

मुबीन मिर्ज़ा

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इक ख़्वाब में आँखें मलते हुए
इक आस की छाया ढलते हुए

इक ख़ौफ़ के मन में पलते हुए
अब मोड़ ये कैसा आया है

संसार पे रंग सा छाया है
आकाश के रिम-झिम तारों ने

सौ रूप दिखाती बहारों ने
सागर के पलटते धारों ने

इक बात कही इक मान दिया
तन-मन को अनोखा ज्ञान दिया

इक जोत जगाई जीवन में
इक रंग उतारा दर्पन में

इक ख़्वाब खिलाया है मन में
इस ख़्वाब में जीना मरना है

अब काम यही बस करना है