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उम्र पोशी | शाही शायरी
umr poshi

नज़्म

उम्र पोशी

क़तील शिफ़ाई

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मैं ने पूछा
मुन्ने! तुम क्यूँ अपनी अम्मी जान को बाजी कहते हो

मुन्ना बोला
बाजी भी तो नानी-जी को आपा आपा कहती हैं

इस बाज़ार का जो कोठा है उस की रीत निराली है
यहाँ तो माँ को माँ कह देना सब से गंदी गाली है