मैं ने पूछा
मुन्ने! तुम क्यूँ अपनी अम्मी जान को बाजी कहते हो
मुन्ना बोला
बाजी भी तो नानी-जी को आपा आपा कहती हैं
इस बाज़ार का जो कोठा है उस की रीत निराली है
यहाँ तो माँ को माँ कह देना सब से गंदी गाली है
नज़्म
उम्र पोशी
क़तील शिफ़ाई
नज़्म
क़तील शिफ़ाई
मैं ने पूछा
मुन्ने! तुम क्यूँ अपनी अम्मी जान को बाजी कहते हो
मुन्ना बोला
बाजी भी तो नानी-जी को आपा आपा कहती हैं
इस बाज़ार का जो कोठा है उस की रीत निराली है
यहाँ तो माँ को माँ कह देना सब से गंदी गाली है