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उम्मीद | शाही शायरी
ummid

नज़्म

उम्मीद

वज़ीर आग़ा

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ज़िंदगी तीरा ग़ार के मानिंद
और मैं रौशनी का शैदाई

काँपती ऊँघती सी दीवारें
पत्थरों पर सजी हुई काई

गीली गीली सियह चटानों पर
गिरती बूंदों की नग़्मा-पैराई

तीरगी और हज़ार आवाज़ें
दिल रहीन-ए-फ़रेब-ए-तन्हाई

हर क़दम लग़्ज़िशों का अफ़्साना
हर नफ़स वक़्फ़-ए-ना-शकेबाई

दूर लेकिन वो नूर का नुक़्ता
पैकर-ए-सीम-गूँ की रानाई

तश्त-ए-गर्दूं में जैसे नज्म-ए-सहर
शब की आँखों में जैसे बीनाई