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उम्मीद-ए-सहर की बात सुनो | शाही शायरी
ummid-e-sahar ki baat suno

नज़्म

उम्मीद-ए-सहर की बात सुनो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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जिगर-दरीदा हूँ चाक-ए-जिगर की बात सुनो
अलम-रसीदा हूँ दामान-ए-तर की बात सुनो

ज़बाँ-बुरीदा हूँ ज़ख़्म-ए-गुलू से हर्फ़ करो
शिकस्ता-पा हूँ मलाल-ए-सफ़र की बात सुनो

मुसाफ़िर-ए-रह-ए-सहरा-ए-ज़ुल्मत-ए-शब से
अब इल्तिफ़ात-ए-निगार-ए-सहर की बात सुनो

सहर की बात उमीद-ए-सहर की बात सुनो