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उदास मौसम के रतजगों में | शाही शायरी
udas mausam ke ratjagon mein

नज़्म

उदास मौसम के रतजगों में

सादुल्लाह शाह

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उदास मौसम के रतजगों में
हर एक लम्हा बिखर गया था

हर एक रस्ता बदल गया था
फिर ऐसे मौसम में कौन आए

कोई तो जाए
तिरे नगर की मसाफ़तों को समेट लाए

तिरी गली में हमारी सोचें बिखेर आए
तुझे बताए कि कौन कैसे

उछालता है वफ़ा के मोती
तुम्हारी जानिब कोई तो जाए

मिरी ज़बाँ में तुझे बुलाए तुझे मनाए
हमारी हालत तुझे बताए तुझे रुलाये

तो अपने दिल को भी चैन आए