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तुर्क शाएर नाज़िम-हिकमत के अफ़्कार | शाही शायरी
turk shaer nazim-hikmat ke afkar

नज़्म

तुर्क शाएर नाज़िम-हिकमत के अफ़्कार

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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जीने के लिए मरना
ये कैसी सआदत है

मरने के लिए जीना
ये कैसी हिमाक़त है

अकेले जियो एक शमशाद-तन की तरह
और मिल कर जियो

एक बन की तरह
हम ने उम्मीद के सहारे पर

टूट कर यूँ ही ज़िंदगी की है
जिस तरह तुम से आशिक़ी की है