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तुम्हारे फूल ताज़ा हैं | शाही शायरी
tumhaare phul taza hain

नज़्म

तुम्हारे फूल ताज़ा हैं

यासमीन हमीद

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तुम्हारे फूल ताज़ा हैं
मिरी सब उँगलियों पर उग रहे हैं

और ये शाख़ें
ये मेरी उँगलियाँ

कैसी हरी हैं
इन की शिरयानों में बहता रंग

फूलों के लबों से बह रहा है
क़तरा क़तरा

एक बे-मौसम कहानी कह रहा है