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तुम नहीं माने | शाही शायरी
tum nahin mane

नज़्म

तुम नहीं माने

फ़रहत एहसास

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सोचो
फिर एक बार

ग़ौर से
जब तुम पैदा हुए थे

तुम्हारी माँ कितना फूट कर रोई थी
लेकिन

तुम नहीं माने