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तुम ख़ूबसूरत हो | शाही शायरी
tum KHubsurat ho

नज़्म

तुम ख़ूबसूरत हो

मुस्तफ़ा अरबाब

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तुम
ख़ूबसूरत हो

तुम से ज़ियादा ख़ूबसूरत हैं
तुम्हारे ख़्वाब

ख़्वाबों से ज़ियादा ख़ूबसूरत है
तुम्हारा दिल

तुम
जब भी लोगों को

दिखाई देती हो
वो लपकते हैं

तुम्हारे बदन की तरफ़
मुझे तुम्हारे दिल के सिवा

कुछ दिखाई नहीं देता