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तुम आओगे | शाही शायरी
tum aaoge

नज़्म

तुम आओगे

गीताञ्जलि राय

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मैं ने पूछा था सितारों से
और उस पीले गुलाब की पंखुड़ियों से भी

उन का सब का मानना था कि वो हवा का झोंका सच कह रहा था कि तुम आओगे
फिर मैं ने बाक़ी सब से भी पूछा

वो नीम का दरख़्त
उस में रहने वाली वो चिड़िया

उस के साथ खेलने वाली नर्म धूप और टहनियों में छुपने वाला चाँद
एक एक कर सब से बात की मैं ने

और सब कहते हैं तुम आओगे
सिवाए तुम्हारे