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तिश्नगी | शाही शायरी
tishnagi

नज़्म

तिश्नगी

ख़दीजा ख़ान

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दिल की तपिश
सीने की ख़लिश

जोश-ए-जिगर
होश-ए-नज़र

हुस्न-ओ-इश्क़
माल-ओ-रिज़्क

लबों पे जब भी
उन का ज़िक्र आया

ऐ तिश्नगी नाम तेरा
फिर उन के साथ ज़रूर आया