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तीन मुख़्तसर नज़्में | शाही शायरी
tin muKHtasar nazMein

नज़्म

तीन मुख़्तसर नज़्में

अली ज़हीर लखनवी

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1
इस तरह लब हिले

कि रातों ने
अपने सीने के राज़ खोल दिए

2
मुंजमिद क़दमों को पिघलाता है कौन

रास्ता बन कर
चला जाता है कौन

3
तेरे लबों पर

मेरे दिल की ख़्वाहिश है
आ जाए न कोई तबाही

देख के चल