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थे गिफ़्ट ऑफ़ मैगी | शाही शायरी
the gift of magi

नज़्म

थे गिफ़्ट ऑफ़ मैगी

मोहम्मद अनवर ख़ालिद

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मैं ने अपने लम्बे बाल तुम्हारी ख़ातिर बेच दिए हैं
और अब घर घर जाने वाले

मेरे घर भी आएँगे
और मैं तेरी ख़ातिर

उजले दिन की ख़ातिर
रखे जाने वाले तोहफ़े

किस किस को तक़्सीम करूँगी
और तुम किस के वास्ते संदल संदल घूमोगे

तुम भी शायद अपनी आख़िरी ख़्वाहिश बेच चुके हो
वर्ना घर मत आना