बेटे इन को यूँ हैरत से मत देखो
ये अंकल हैं... इन से कोई बात करो
...परसों वाले ठगने थे
कल जो आए थे दुबले थे
और ये मोटे ताज़े हैं
अम्मी आख़िर... मेरे कितने अंकल हैं

नज़्म
टेढ़ा सवाल
मोहसिन भोपाली
नज़्म
मोहसिन भोपाली
बेटे इन को यूँ हैरत से मत देखो
ये अंकल हैं... इन से कोई बात करो
...परसों वाले ठगने थे
कल जो आए थे दुबले थे
और ये मोटे ताज़े हैं
अम्मी आख़िर... मेरे कितने अंकल हैं