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तौसीफ़ | शाही शायरी
tausif

नज़्म

तौसीफ़

राज नारायण राज़

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उस ने कहा था:
बोल रहट के और पंछी के

सब अल्फ़ाज़ सदाएँ सारी
जो तहलील हुईं नीले गुम्बद में

जो तहरीर हुईं लम्हों पर
जो महसूब हुईं साँसों से

नील गगन में सुब्ह-ए-अज़ल से तैर रही हैं
आज भी उन को सुन सकते हैं, पढ़ सकते हैं

उस ने कहा था:
शब्द अमर है.....