कुछ दिनों से इक चिड़िया
चुप उदास गुम-सुम सी
शाम होते आती है
घर में एक फोटो पर
आ के बैठ जाती है
उस समय घड़ी मेरी
ठीक छे बजाती है
कुछ ही देर में चिड़िया
शाम के धुँदलके में
डूब डूब जाती है
और घर का दरवाज़ा
रात खटखटाती है
नज़्म
तन्हाई
मोहम्मद अल्वी