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तंहाई | शाही शायरी
tanhai

नज़्म

तंहाई

आदिल मंसूरी

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वो आँखों पर पट्टी बाँधे फिरती है
दीवारों का चूना चाटती रहती है

ख़ामोशी के सहराओं में उस के घर
मरे हुए सूरज हैं उस की छाती पर

उस के बदन को छू कर लम्हे साल बने
साल कई सदियों में पूरे होते हैं

वो आँखों पर पट्टी बाँधे फिरती है