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तआ'रुफ़ | शाही शायरी
taaruf

नज़्म

तआ'रुफ़

शीरीं अहमद

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आगही ने
मुझे दुख के दाएरे में

खड़ा कर दिया है
मैं तो अंजान ही भली थी

क्यूँ किसी ने आ कर
मुझ से

मेरा ही तआ'रुफ़ करवा दिया