आगही ने
मुझे दुख के दाएरे में
खड़ा कर दिया है
मैं तो अंजान ही भली थी
क्यूँ किसी ने आ कर
मुझ से
मेरा ही तआ'रुफ़ करवा दिया

नज़्म
तआ'रुफ़
शीरीं अहमद
नज़्म
शीरीं अहमद
आगही ने
मुझे दुख के दाएरे में
खड़ा कर दिया है
मैं तो अंजान ही भली थी
क्यूँ किसी ने आ कर
मुझ से
मेरा ही तआ'रुफ़ करवा दिया