ख़ूब पहचान लो असरार हूँ मैं
जिंस-ए-उल्फ़त का तलबगार हूँ मैं
इश्क़ ही इश्क़ है दुनिया मेरी
फ़ित्ना-ए-अक़्ल से बे-ज़ार हूँ मैं
ख़्वाब-ए-इशरत में हैं अरबाब-ए-ख़िरद
और इक शाइर-ए-बेदार हूँ मैं
छेड़ती है जिसे मिज़राब-ए-अलम
साज़-ए-फ़ितरत का वही तार हूँ मैं
रंग नज़्ज़ारा-ए-क़ुदरत मुझ से
जान-ए-रंगीनी-ए-कोहसार हूँ मैं
नश्शा-ए-नर्गिस-ए-ख़ूबाँ मुझ से
ग़ाज़ा-ए-आरिज़-ओ-रुख़्सार हूँ मैं
ऐब जो हाफ़िज़ ओ ख़य्याम मैं था
हाँ कुछ इस का भी गुनहगार हूँ मैं
ज़िंदगी क्या है गुनाह-ए-आदम
ज़िंदगी है तो गुनहगार हूँ मैं
रश्क-ए-सद-होश है मस्ती मेरी
ऐसी मस्ती है कि हुश्यार हूँ मैं
ले के निकला हूँ गुहर-हा-ए-सुख़न
माह ओ अंजुम का ख़रीदार हूँ मैं
दैर ओ काबा में मिरे ही चर्चे
और रुस्वा सर-ए-बाज़ार हूँ मैं
कुफ़्र ओ इल्हाद से नफ़रत है मुझे
और मज़हब से भी बे-ज़ार हूँ मैं
अहल-ए-दुनिया के लिए नंग सही
रौनक़-ए-अंजुमन-ए-यार हूँ मैं
ऐन इस बे-सर-ओ-सामानी में
क्या ये कम है कि गुहर-बार हूँ मैं
मेरी बातों में मसीहाई है
लोग कहते हैं कि बीमार हूँ मैं
मुझ से बरहम है मिज़ाज-ए-पीरी
मुजरिम-ए-शोख़ी-ए-गुफ़्तार हूँ मैं
हूर ओ ग़िल्माँ का यहाँ ज़िक्र नहीं
नौ-ए-इंसाँ का परस्तार हूँ मैं
महफ़िल-ए-दहर पे तारी है जुमूद
और वारफ़्ता-ए-रफ़्तार हूँ मैं
इक लपकता हुआ शो'ला हूँ मैं
एक चलती हुई तलवार हूँ मैं
नज़्म
तआ'रुफ़
असरार-उल-हक़ मजाज़