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सूरज से आगे इक जंगल है | शाही शायरी
suraj se aage ek jangal hai

नज़्म

सूरज से आगे इक जंगल है

क़मर जमील

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सूरज से आगे इक जंगल है
मैं इस जंगल का दिया हूँ

चाँद से आगे मेरा घर है
मैं इस घर का दिया हूँ

सूरज से आगे इक जंगल है
मैं इस जंगल का दिया हूँ

मैं क्या जानूँ
किस जंगल में मेरा घर है

सोई हुई चिड़िया से पूछो
रात की कितनी घड़ियाँ

बाक़ी हैं
मैं क्या जानूँ

किस जंगल में मेरा घर है
सूरज से आगे इक जंगल है

मैं इस जंगल का दिया हूँ