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सुर्ख़ फंदे सुनहरी मालाएँ | शाही शायरी
surKH phande sunahri malaen

नज़्म

सुर्ख़ फंदे सुनहरी मालाएँ

तनवीर मोनिस

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तेरे पहलू में बर्फ़ का टुकड़ा
जाने पिघलेगा कौन सी रुत में

अब तो पैराहन-ए-हिमाला भी
मिस्ल-ए-दामन-नुमा-ए-क़ैस हुआ

बाल खुलने लगे हैं शीशम के
बुध की सूरत जुमूद की रुत में

बे-नियाज़-ए-लिबास-ए-तख़मीना
थे ज्ञानी जो वो सफ़ेदे भी

हैं सर-ए-राह महव-ए-बोस-ओ-कनार
अपनी ख़ुश-क़ामती पे इतराती

पहनने वाली हैं खजूरें भी
सुर्ख़ फंदे सुनहरी मालाएँ