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सियाह लहू | शाही शायरी
siyah lahu

नज़्म

सियाह लहू

मुस्तफ़ा ज़ैदी

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एक दल और इतने बार-ए-गराँ
ऊँघते पेड़ सर-निगूँ गलियाँ

मुज़्महिल नूर मुज़्महिल ख़ुशियाँ
अन-गिनत ख़्वाब अन-गिनत अरमाँ

बे-महक फूल अध-खिली कलियाँ
बादशाहों का क़िस्सा-ए-मन-ओ-तू

तीरा सिक्कों का तीरा-तर जादू
सुर्ख़ तारीकियाँ सियाह लहू

मुंतशिर रात मुंतशिर गेसू
बे-असर आह बे-असर आँसू

ज़ेहन की क़ब्र दिल का वीराना
फ़िक्र-ए-रोज़ी तलाश-ए-मय-खाना

कोई बा-अक़्ल कोई दीवाना
मेरी तहक़ीक़ उस का अफ़्साना

ज़र्द बत्ती उदास परवाना
अल-ग़रज़ इक न इक ग़म-ए-गुल-ओ-ख़ार

फ़लसफ़े का ख़ुमार इश्क़ का बार
दिल को इक सुब्ह-ओ-शाम का आज़ार

हसरत-ए-सुल्ह-ओ-हसरत-ए-पैकार
सैद-ए-इबलीस-ओ-कुश्ता-ए-यज़्दाँ