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सिपाही का मर्सिया | शाही शायरी
sipahi ka marsiya

नज़्म

सिपाही का मर्सिया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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उट्ठो अब माटी से उट्ठो
जागो मेरे लाल

अब जागो मेरे लाल
तुमरी सेज जवान कारन

देखो आई रेन अँधयारन
नीले शाल दो-शाले ले कर

जिन में इन दुखियन अखियन ने
ढेर किए हैं इतने मोती

इतने मोती जिन की ज्योति
दान से तुमरा

जग जग लागा
नाम चमकने

उट्ठो अब माटी से उट्ठो
जागो मेरे लाल

अब जागो मेरे लाल
घर घर बिखरा भोर का कुंदन

घोर-अँधेरा अपना आँगन
जाने कब से राह तके हैं

बाली दुल्हनिया, बाँके वीरन
सूना तुमरा राज पड़ा है

देखो कितना काज पड़ा है
बैरी बिराजे राज-सिंघासन

तुम माटी में लाल
उट्ठो अब माटी से उट्ठो, जागो मेरे लाल

हट न करो माटी से उट्ठो, जागो मेरे लाल
अब जागो मेरे लाल