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सीमोन-दी-बोवा | शाही शायरी
simone-de-beauwoir

नज़्म

सीमोन-दी-बोवा

अली साहिल

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तुम जिस काम से
आज बरसों बाद

मेरी सम्त खिचे चले आए हो
वो काम अभी नहीं हो सकता

तुम अच्छी तरह जानते हो
आख़िरी तारीख़ों में ज़िंदगी बहुत तल्ख़ हो जाती है

और ये तल्ख़ी
चाय की प्याली में तूफ़ान नहीं ला सकती

तुम ख़ामोशी से चाय पीते रहो
और देखो

सीमोन-दी-बोवा की औरत को हाथ मत लगाओ