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सीखने का अमल हमेशा जारी रहना चाहिए | शाही शायरी
sikhne ka amal hamesha jari rahna chahiye

नज़्म

सीखने का अमल हमेशा जारी रहना चाहिए

अली साहिल

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तुम्हें
चीख़ने-चिल्लाने का कोई हक़ नहीं

तुम अगर हालात को तब्दील कर सकते हो
तो मैदान-ए-अमल में आ कर

अपना किरदार अदा करो
वर्ना ख़ामोश रहो

तुम चाहो तो
बारिश की तरह बरसते हुए कोड़ों पर

गिनती सीख सकते हो
सीखने का अमल

हमेशा जारी रहना चाहिए
इस सीखने के अमल में

मैं तुम्हारा साथ दे सकता हूँ
तुम जहाँ गिनती भूल जाओ

मुझ से रुजूअ कर लेना
मैं तुम्हें सब्र की तल्क़ीन करूँगा