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सीढ़ियों से उपर एक मकान | शाही शायरी
siDhiyon se upar ek makan

नज़्म

सीढ़ियों से उपर एक मकान

सय्यद काशिफ़ रज़ा

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उन सीढ़ियों पर
और उन से ऊपर एक तंग मकान के फ़र्श पर

इक्कीसवीं सदी का कोई मुसव्विर
वो होंट दरयाफ़्त नहीं कर सका

जो तुम्हारे पैरों को चूम नहीं सके
और मकान की वो दीवारें

जिन से तुम्हारी कमर रगड़ नहीं खा सकी
और कोई नज़्म

तुम्हारी ख़्वाहिश करने वाले वो लफ़्ज़ नहीं ढूँड सकी
जो इन सीढ़ियों से ऊपर

एक तंग मकान की दीवारों के दरमियान
एक शख़्स से फ़रामोश हो गए

या जिन्हें उस ने
काग़ज़ पर दरश्ती से काट दिया

या लिखे बग़ैर तर्क कर दिया
या अपनी आँखों को सौंप दिया

कि एक रोज़ तुम उन्हें आसानी से पढ़ सको
और ज़ियादा आसानी के साथ

उन का इंकार कर सको