मुझ से मत कहो
धूप बहुत तेज़ है
सीढ़ियाँ चढ़ने पे
मेरे पाँव जल जाएँगे
और हम कहीं नहीं जा सकेंगे
मैं अभी सीढ़ियाँ चढ़ूँगा
और धूप में रखे हुए फूल
नीचे ला के पानी में डाल दूँगा
मुझ से मत कहो
तेज़ धूप सीढ़ियाँ
पानी में खिले हुए फूल
हमें कुछ नज़र नहीं आता
नज़्म
सीढ़ियाँ..... एक मामूली मुकालिमा
ज़ीशान साहिल