गहरी नींद में
सारे अनासिर बिखर गए
बची-खुची पूँजी को
सवा नेज़े का सूरज
चाट गया
मुझ से हिसाब तलब करते हो
मैं तो एक अज़ीम सिफ़र हूँ

नज़्म
सिफ़र
अज़ीज़ तमन्नाई
नज़्म
अज़ीज़ तमन्नाई
गहरी नींद में
सारे अनासिर बिखर गए
बची-खुची पूँजी को
सवा नेज़े का सूरज
चाट गया
मुझ से हिसाब तलब करते हो
मैं तो एक अज़ीम सिफ़र हूँ