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jinhen main DhunDhta tha aasmanon mein zaminon mein wo nikle mere zulmat-KHana-e-dil ke makinon mein
नज़्म
नसीम सहर
उस ने ये सोच के तोड़ा था मिरा दिल कि मिरे दिल में कोई अक्स ही उस का न रहे अब ये आलम है कि जितने भी हैं दिल के टुकड़े अक्स इतने ही मिरे दिल में हैं शामिल उस के