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Schedule | शाही शायरी
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नज़्म

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खालिद इरफ़ान

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जॉब भी करनी है खाना भी पकाना है मुझे
शेर भी कहने हैं मिसरा भी उठाना है मुझे

मुझ को ''टोपी'' भी ज़रूरी है यहाँ ''टाई'' भी
जुम्अ भी पढ़ना है डेटिंग पे भी जाना है मुझे

एक गोरी से भी मिलना है सर-ए-साहिल-ए-इश्क़
एक ख़ातून को उर्दू भी पढ़ाना है मुझे

आज ही मेरे ''एटर्नी'' का भी फ़ोन आया है
आज ही घर का किराया भी चुकाना है मुझे