मत शिकायत करो कि सरकार सो रही है
ज़बाँ पे लगाम रखो कि सरकार सो रही है
महँगाई ने बे-शक जीना मुहाल किया है
दिल की दिल में रखो कि सरकार सो रही है
मत लगाओ नारे न उतरो सड़क पर
जेल जाओगे पिटोगे, डरो कि सरकार सो रही है
रोज़ दाम बढ़ाती है शायद हुक्म मिला है कहीं से
जल्दी जेब ढीली करो कि सरकार सो रही है
ये शाह ख़र्च है कि हुकूमत है इन की
आम आदमी हो सड़-सड़ मरो कि सरकार सो रही है
क़त्ल-ओ-ग़ारत हो कि इस्मतें लुटें रोज़ाना
अपनी जाँ की ख़ैर करो कि सरकार सो रही है
नज़्म
सरकार सो रही है
माधव अवाना