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सरिश्त-ए-आदम | शाही शायरी
sarisht-e-adam

नज़्म

सरिश्त-ए-आदम

जाफ़र साहनी

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बहुत ही तेज़ बारिश है
हवा भी कुछ इस तूफ़ानी

मुसलसल आसमाँ
कई घंटे से यकसाँ

बरसता जा रहा है
और मिरी खिड़की पे बैठा एक कव्वा

पँख से टपकाता पानी
आसमाँ की नक़्ल करता जा रहा है

और इस से कुछ परे
छप्पर पे कोई आदमी-ज़ादा

छुपाए सर को पोली-थीन से अपना
छुपाता सर

वो छप्पर का भी पोली-थीन से
बिल्कुल अनोखा लग रहा है