EN اردو
संथाली नाच | शाही शायरी
santhaali nach

नज़्म

संथाली नाच

मुनीबुर्रहमान

;

ये चट्टानों के भँवर हैं
जिन से ज़ुल्मत चीख़ती है

आँधियों के दिल की धड़कन
देव-दारों के तनों में

मस्त शेरों की गरज है
जंगलों में

मोरछल, नेज़े, कमानें
लज़्ज़तों के मुँह से बाहर तुंद शोलों की ज़बानें

औरतों की आबनूसी छातियों से
दर्द बन कर ज़हर की बूँदें गिरेंगी

उन की रानें तिश्ना-ए-पैकाँ रहेंगी
और वहशत संग-रेज़ों पर चलेगी

ख़ून बन कर ताल देगी