EN اردو
सन्नाटा | शाही शायरी
sannaTa

नज़्म

सन्नाटा

मराहिब क़ासमी

;

सन्नाटा सा सन्नाटा है
सब को अपनी तन्हाई है

सब के अपने अपने दुख
अंदर का कोई मीत नहीं है

साँझ का कोई गीत नहीं है
सन्नाटा सा सन्नाटा है

ख़ामोशी है
वीरानी है

नागिन रात सी काली चुप है