समुंदर की ख़ुश्बू मेरे पेट
में घुल रही है
वो ज़रा फ़ासले पर ही बिछा है
और ख़ामोशी से आसमान को ख़ुद को
तकते हुए देख रहा है
मैं एक कमरे में
सुर्ख़ क़ालीन पर योगा आसन करते हुए
आँखें मूँदे
अपने दिल की आवाज़ सुन रही हूँ
जो आज सुकून से है
जैसे कोई बहुत थक कर सोया हो
वसवसों के दरमियान से निकल कर
मैं अपने दिल की इस आसूदगी पर
ख़ुश हूँ
जैसे कोई माँ अपने बीमार बच्चे को
आराम से सोते देख कर
चैन का साँस लेती है
मेरे पेट में समुंदर की ख़ुश्बू
एक वक़्त की ग़िज़ा की तरह मुझे ज़िंदा कर रही है
उस वक़्त से पहले
जब एक बार फिर मिरा दिल सोते से
जागे
अपने वसवसों से खेलने के लिए
नज़्म
समुंदर की ख़ुश्बू
अज़रा अब्बास