कलाई की घड़ी को
आज बड़े प्यार से उतारा
और उस की कुंजी को खींच कर
एक असफल प्रयास किया
घड़ी को रोकने का
फिर भी जब ना मानी घड़ी
तो
चटका कर उस का काँच
कुछ घावों से
उस की एक सूई को तोड़ दिया
घड़ी भी ज़िद्दी क़िस्म की है
रुकने का नाम नहीं है लेती
कितना मुश्किल है
वक़्त को पकड़ कर रखना
या बाँधना उसे किसी वाक़िए के साथ
कुछ बिगड़ेगा क्या उस का
यदि वो कुछ देर ठहर जाएगा तो
आख़िर में एक सूई को
पकड़ कर मोड़ दिया
कुछ इस तरह कि
अटक जाए वो वक़्त वही
मैं उन लम्हों को महसूस करता रहूँ
वो लम्हा जहाँ मैं कुछ भी नहीं
लेकिन ग़म भी नहीं
मेरे कुछ ना होने का
अब अटका कर समय को
मैं मौज मनाऊँगा
नज़्म
समय को अटका दिया
कमल उपाध्याय